Nirvana Shatakam, also known as Atma shatakam, is a devotional composition consisting of 6 verses ( Șaṭ-ka means six-verses) in Sanskrit. It was composed by Sri Adi Shankaracharya around 9th Century CE, summarizing the basic teachings of Advaita Vedanta, or the Hindu teachings of non-dualism. Nirvana Shatakam is also popular as the stotra that has each of its verses ending with “chidananda roopah shivoham shivoham”. Get Nirvana Shatakam lyrics in Hindi Pdf here, know the meaning, and chant it to realize your true self and gain peace and tranquility in life.
Nirvana Shatakam lyrics in Hindi – निर्वाण षट्कम्
मनोबुद्ध्यहंकार चित्तानि नाहं
न च श्रोत्रजिह्वे न च घ्राणनेत्रे ।
न च व्योम भूमिर्न तेजो न वायुः
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। 1 ।।
अर्थ (Meaning): मैं न तो मन हूं, न बुद्धि, न अहंकार, न ही चित्त हूं | मैं न तो कान हूं, न जीभ, न नासिका, न ही नेत्र हूं | मैं न तो आकाश हूं, न धरती, न अग्नि, न ही वायु हूं | मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।
न च प्राणसंज्ञो न वै पंचवायुः,
न वा सप्तधातुः न वा पञ्चकोशः ।
न वाक्पाणिपादौ न चोपस्थपायु,
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। 2 ।।
अर्थ (Meaning): मैं न प्राण हूं, न ही पंच वायु हूं | मैं न सात धातु हूं, और न ही पांच कोश हूं | मैं न वाणी हूं, न हाथ हूं, न पैर, न ही उत्सर्जन की इन्द्रियां हूं | मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।
न मे द्वेषरागौ न मे लोभमोहौ,
मदो नैव मे नैव मात्सर्यभावः ।
न धर्मो न चार्थो न कामो न मोक्षः,
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। 3 ।।
अर्थ (Meaning): न मुझे घृणा है, न लगाव है, न मुझे लोभ है, और न मोह | न मुझे अभिमान है, न ईर्ष्या | मैं धर्म, धन, काम एवं मोक्ष से परे हूं | मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।
न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दुःखं,
न मन्त्रो न तीर्थो न वेदा न यज्ञ ।
अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता,
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। 4 ।।
अर्थ (Meaning): मैं पुण्य, पाप, सुख और दुख से विलग हूं | मैं न मंत्र हूं, न तीर्थ, न ज्ञान, न ही यज्ञ | न मैं भोजन(भोगने की वस्तु) हूं, न ही भोग का अनुभव, और न ही भोक्ता हूं | मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।
न मे मृत्युशंका न मे जातिभेदः,
पिता नैव मे नैव माता न जन्मः ।
न बन्धुर्न मित्रं गुरूर्नैव शिष्यः,
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। 5 ।।
अर्थ (Meaning): न मुझे मृत्यु का डर है, न जाति का भेदभाव | मेरा न कोई पिता है, न माता, न ही मैं कभी जन्मा था मेरा न कोई भाई है, न मित्र, न गुरू, न शिष्य, | मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।
अहं निर्विकल्पो निराकार रूपो,
विभुत्वाच सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम् ।
न चासङ्गतं नैव मुक्तिर्न मेयः,
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। 6 ।।
अर्थ (Meaning): मैं निर्विकल्प हूं, निराकार हूं | मैं चैतन्य के रूप में सब जगह व्याप्त हूं, सभी इन्द्रियों में हूं, | न मुझे किसी चीज में आसक्ति है, न ही मैं उससे मुक्त हूं, | मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।
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🙏🙏 बहुत बहुत धन्यवाद जिन्होंने इसका अनुवाद किया 🙏🙏
जबतक व्यक्ति बाहर देखेगा वह सिर्फ माया देखेगा जब व्यक्ति अपने अंदर देखेगा अपने मन बुद्धि चित्त अहंकार को देखने लगता है अपने कार्य का साक्षी दृष्टा बन जाता है तो व्यक्ति ब्रह्म के निकट होता है ब्रह्म से उतना ही दूर होता है जितना सोया व्यक्ति अपने जाग्रत अवस्था में स्वयं का साक्षात्कार करता है।
Jay bholenath
Short and perfect translation .
Thanks
Om Namay Shivay
निर्वाण शटकम् पढ़ कर गहन आनंद की अनुभूति हुई।
अब इन संस्कृत पदों को बार बार गुनगुनाता हूँ। आपको हार्दिक धन्यवाद।
निर्वाण शटकम् पढ़ कर गहन आनंद की अनुभूति हुई।
अब इन संस्कृत पदों को बार बार गुनगुनाता हूँ। आपको हार्दिक धन्यवाद।