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Manidweepa Varnana in Hindi – मणिद्वीप वर्णनम्

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Manidweepa Varnana is a sacred portion of the Devi Bhagavatam that describes the celestial abode of the Divine Mother, Sri Lalitha Tripura Sundari Devi. This divine realm is known as Manidweepa, which translates to “Island of Jewels”. It is also referred to as Śrīpura or Śrī Nagara. According to Rishi Veda Vyasa, Manidweepa is situated in the center of a cosmic Ocean of Nectar, known as Sudhā Samudra. The description paints a picture of unparalleled divine beauty, radiance, and spiritual grandeur. As a form of devotion, many perform the Manidweepa Pooja, which involves chanting the 32 ślokas of Manidweepa Varnana nine times a day for nine consecutive days. This sacred practice is believed to invoke the blessings of the Lalitha Devi. Get Manidweepa Varnana in Hindi Lyrics Pdf here and chant them with devotion to get rid of all of your difficulties and be blessed with immense riches and happiness.

Manidweepa Varnana in Hindi – मणिद्वीप वर्णनम्

महाशक्ति मणिद्वीप निवासिनी
मुल्लोकालकु मूलप्रकाशिनी ।
मणिद्वीपमुलो मंत्ररूपिणी
मन मनसुललो कॊलुवैयुंदि ॥ 1 ॥

सुगंध पुष्पालॆन्नो वेलु
अनंत सुंदर सुवर्ण पूलु ।
अचंचलंबगु मनो सुखालु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 2 ॥

लक्षल लक्षल लावण्यालु
अक्षर लक्षल वाक्संपदलु ।
लक्षल लक्षल लक्ष्मीपतुलु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 3 ॥

पारिजातवन सौगंधालु
सूराधिनाधुल सत्संगालु ।
गंधर्वादुल गानस्वरालु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 4 ॥

भुवनेश्वरि संकल्पमे जनियिंचे मणिद्वीपमु ।
देवदेवुल निवासमु अदिये मनकु कैवल्यमु ॥

पद्मरागमुलु सुवर्णमणुलु
पदि आमडल पॊडवुन गलवु ।
मधुर मधुरमगु चंदनसुधलु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 5 ॥

अरुवदि नालुगु कलामतल्लुलु
वरालनॊसगे पदारु शक्तुलु ।
परिवारमुतो पंचब्रह्मलु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 6 ॥

अष्टसिद्धुलु नवनवनिधुलु
अष्टदिक्कुलु दिक्पालकुलु ।
सृष्टिकर्तलु सुरलोकालु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 7 ॥

कोटिसूर्युल प्रचंड कांतुलु
कोटिचंद्रुल चल्लनि वॆलुगुलु ।
कोटितारकल वॆलुगु जिलुगुलु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 8 ॥

भुवनेश्वरि संकल्पमे जनियिंचे मणिद्वीपमु ।
देवदेवुल निवासमु अदिये मनकु कैवल्यमु ॥

कंचु गोडल प्राकारालु
रागि गोडल चतुरस्रालु ।
एडामडल रत्नराशुलु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 9 ॥

पंचामृतमय सरोवरालु
पंचलोहमय प्राकारालु ।
प्रपंचमेले प्रजाधिपतुलु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 10 ॥

इंद्रनीलमणि आभरणालु
वज्रपुकोटलु वैढूर्यालु ।
पुष्यरागमणि प्राकारालु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 11 ॥

सप्तकोटिघन मंत्रविद्यलु
सर्वशुभप्रद इच्छाशक्तुलु ।
श्री गायत्री ज्ञानशक्तुलु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 12 ॥

भुवनेश्वरि संकल्पमे जनियिंचे मणिद्वीपमु ।
देवदेवुल निवासमु अदिये मनकु कैवल्यमु ॥

मिलमिललाडे मुत्यपु राशुलु
तलतललाडे चंद्रकांतमुलु ।
विद्युल्लतलु मरकतमणुलु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 13 ॥

कुबेर इंद्र वरुण देवुलु
शुभाल नॊसगे अग्निवायुवुलु ।
भूमि गणपति परिवारमुलु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 14 ॥

भक्ति ज्ञान वैराग्य सिद्धुलु
पंचभूतमुलु पंचशक्तुलु ।
सप्तृषुलु नवग्रहालु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 15 ॥

कस्तूरि मल्लिक कुंदवनालु
सूर्यकांति शिल महाग्रहालु ।
आरु ऋतुवुलु चतुर्वेदालु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 16 ॥

भुवनेश्वरि संकल्पमे जनियिंचे मणिद्वीपमु ।
देवदेवुल निवासमु अदिये मनकु कैवल्यमु ॥

मंत्रिणि दंडिनि शक्तिसेनलु
कालि कराली सेनापतुलु ।
मुप्पदिरॆंडु महाशक्तुलु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 17 ॥

सुवर्ण रजित सुंदरगिरुलु
अनंगदेवि परिचारिकलु ।
गोमेधिकमणि निर्मितगुहलु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 18 ॥

सप्तसमुद्रमुलनंत निधुलु
यक्ष किन्नॆर किंपुरुषादुलु ।
नानाजगमुलु नदीनदमुलु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 19 ॥

मानव माधव देवगणमुलु
कामधेनुवु कल्पतरुवुलु ।
सृष्टि स्थिति लय कारणमूर्तुलु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 20 ॥

भुवनेश्वरि संकल्पमे जनियिंचे मणिद्वीपमु ।
देवदेवुल निवासमु अदिये मनकु कैवल्यमु ॥

कोटि प्रकृतुल सौंदर्यालु
सकल वेदमुलु उपनिषत्तुलु ।
पदारुरेकुल पद्मशक्तुलु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 21 ॥

दिव्यफलमुलु दिव्यास्त्रमुलु
दिव्यपुरुषुलु धीरमातलु ।
दिव्यजगमुलु दिव्यशक्तुलु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 22 ॥

श्री विघ्नेश्वर कुमारस्वामुलु
ज्ञानमुक्ति एकांत भवनमुलु ।
मणिनिर्मितमगु मंडपालु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 23 ॥

पंचभूतमुलु याजमान्यालु
प्रवालसालं अनेक शक्तुलु ।
संतानवृक्ष समुदायालु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 24 ॥

भुवनेश्वरि संकल्पमे जनियिंचे मणिद्वीपमु ।
देवदेवुल निवासमु अदिये मनकु कैवल्यमु ॥

चिंतामणुलु नवरत्नालु
नूरामडल वज्रपुराशुलु ।
वसंतवनमुलु गरुडपच्चलु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 25 ॥

दुःखमु तॆलियनि देवीसेनलु
नटनाट्यालु संगीतालु ।
धनकनकालु पुरुषार्धालु
मणिद्वीपानिकि महानिधुलु ॥ 26 ॥

पदुनालुगु लोकालन्निटि पैन
सर्वलोकमनु लोकमु कलदु ।
सर्वलोकमे ई मणिद्वीपमु
सर्वेश्वरिकदि शाश्वत स्थानम् ॥ 27 ॥

चिंतामणुल मंदिरमंदु
पंचब्रह्मल मंचमुपैन ।
महादेवुडु भुवनेश्वरितो
निवसिस्ताडु मणिद्वीपमुलो ॥ 28 ॥

भुवनेश्वरि संकल्पमे जनियिंचे मणिद्वीपमु ।
देवदेवुल निवासमु अदिये मनकु कैवल्यमु ॥

मणिगणखचित आभरणालु
चिंतामणि परमेश्वरिदाल्चि ।
सौंदर्यानिकि सौंदर्यमुगा
अगुपडुतुंदि मणिद्वीपमुलो ॥ 29 ॥

परदेवतनु नित्यमुकॊलचि
मनसर्पिंचि अर्चिंचिनचो ।
अपारधनमु संपदलिच्चि
मणिद्वीपेश्वरि दीविस्तुंदि ॥ 30 ॥

नूतन गृहमुलु कट्टिनवारु
मणिद्वीपवर्णन तॊम्मिदिसार्लु ।
चदिविन चालु अंता शुभमे
अष्टसंपदल तुलतूगेरु ॥ 31 ॥

शिवकवितेश्वरि श्रीचक्रेश्वरि
मणिद्वीप वर्णन चदिविन चोट ।
तिष्टवेसुकुनि कूर्चॊनुनंट
कोटिशुभालनु समकूर्चुटकै ॥ 32 ॥

भुवनेश्वरि संकल्पमे जनियिंचे मणिद्वीपमु ।
देवदेवुल निवासमु अदिये मनकु कैवल्यमु ॥

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