Gorakhnath Chalisa is a 40-verse stotra for worshipping Sri Guru Gorakhnath, who is considered by many as an avatar of Lord Shiva and worshipped both as a guru and also a deity. Get Sri Guru Gorakhnath Chalisa in Hindi Pdf Lyrics here and chant it for the grace of Baba Gorakhnath Ji.
Gorakhnath Chalisa in Hindi – श्री गोरखनाथ चालीसा
॥ दोहा ॥
गणपति गिरजा पुत्र को सुमिरु बारम्बार
हाथ जोड़ बिनती करू शारद नाम आधार॥
॥ चोपाई ॥
जय जय जय गोरख अविनाशी
कृपा करो गुरुदेव प्रकाशी ॥ 1 ॥
जय जय जय गोरख गुण ज्ञानी
इच्छा रूप योगी वरदानी ॥ 2 ॥
अलख निरंजन तुम्हरो नामा
सदा करो भक्त्तन हित कामा ॥ 3 ॥
नाम तुम्हारो जो कोई गावे
जन्म जन्म के दुःख मिट जावे ॥ 4 ॥
जो कोई गोरख नाम सुनावे
भूत पिसाच निकट नहीं आवे || 5 ||
ज्ञान तुम्हारा योग से पावे
रूप तुम्हारा लख्या न जावे ॥ 6 ॥
निराकार तुम हो निर्वाणी
महिमा तुम्हारी वेद न जानी ॥ 7 ॥
घट – घट के तुम अंतर्यामी
सिद्ध चोरासी करे परनामी ॥ 8 ॥
भस्म अंग गल नांद विराजे
जटा शीश अति सुन्दर साजे ॥ 9 ॥
तुम बिन देव और नहीं दूजा
देव मुनिजन करते पूजा ॥ 10 ॥
चिदानंद संतन हितकारी
मंगल करण अमंगल हारी ॥ 11 ॥
पूरण ब्रह्मा सकल घट वासी
गोरख नाथ सकल प्रकाशी॥ 12 ॥
गोरख गोरख जो कोई धियावे
ब्रह्म रूप के दर्शन पावे॥ 13 ॥
शंकर रूप धर डमरू बाजे
कानन कुंडल सुन्दर साजे ॥ 14 ॥
नित्यानंद है नाम तुम्हारा
असुर मार भक्तन रखवारा ॥ 15 ॥
अति विशाल है रूप तुम्हारा
सुर नर मुनि जन पावे न पारा ॥ 16 ॥
दीनबंधु दीनन हितकारी
हरो पाप हम शरण तुम्हारी॥ 17 ॥
योग युक्ति में हो प्रकाशा
सदा करो संतान तन बासा॥ 18 ॥
प्रात : काल ले नाम तुम्हारा
सिद्धि बढे अरु योग प्रचारा॥ 19 ॥
हठ हठ हठ गोरछ हठीले
मर मर वैरी के कीले॥ 20 ॥
चल चल चल गोरख विकराला
दुश्मन मार करो बेहाला॥ 21 ॥
जय जय जय गोरख अविनाशी
अपने जन की हरो चोरासी ॥ 22 ॥
अचल अगम है गोरख योगी
सिद्धि दियो हरो रस भोगी ॥ 23 ॥
काटो मार्ग यम को तुम आई
तुम बिन मेरा कोन सहाई॥ 24 ॥
अजर अमर है तुम्हारी देहा
सनकादिक सब जोरहि नेहा ॥ 25 ॥
कोटिन रवि सम तेज तुम्हारा
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥ 26 ॥
योगी लखे तुम्हारी माया
पार ब्रह्म से ध्यान लगाया ॥ 27 ॥
ध्यान तुम्हारा जो कोई लावे
अष्ट सिद्धि नव निधि पा जावे ॥ 28 ॥
शिव गोरख है नाम तुम्हारा
पापी दुष्ट अधम को तारा ॥ 29 ॥
अगम अगोचर निर्भय नाथा
सदा रहो संतन के साथा॥ 30 ॥
शंकर रूप अवतार तुम्हारा
गोपीचंद भरथरी को तारा ॥ 31 ॥
सुन लीजो प्रभु अरज हमारी
कृपासिन्धु योगी ब्रहमचारी ॥ 32 ॥
पूर्ण आस दास की कीजे
सेवक जान ज्ञान को दीजे ॥ 33 ॥
पतित पवन अधम अधारा
तिनके हेतु तुम लेत अवतारा ॥ 34 ॥
अखल निरंजन नाम तुम्हारा
अगम पंथ जिन योग प्रचारा ॥ 35 ॥
जय जय जय गोरख भगवाना
सदा करो भक्त्तन कल्याना॥ 36 ॥
जय जय जय गोरख अविनाशी
सेवा करे सिद्ध चोरासी ॥ 37 ॥
जो यह पढ़े गोरख चालीसा
होए सिद्ध साक्षी जगदीशा॥ 38 ॥
हाथ जोड़कर ध्यान लगावे
और श्रद्धा से भेंट चढ़ावे ॥ 39 ॥
बारह पाठ पढ़े नित जोई
मनोकामना पूर्ण होई ॥ 40 ॥
॥ दोहा ॥
सुने सुनावे प्रेम वश, पूजे अपने नाथ
मन इच्छा सब कामना, पुरे गोरखनाथ ॥
अगम अगोचर नाथ तुम, पारब्रह्म अवतार
कानन कुण्डल सिर जटा, अंग विभूति अपार ॥
सिद्ध पुरुष योगेश्वरो, दो मुझको उपदेश
हर समय सेवा करूँ, सुबह शाम आदेश ॥
इति श्री गोरखनाथ चालीसा ||