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Bhramarambika Ashtakam in Hindi – श्री भ्रमराम्बिका अष्टकम्

bramarambika ashtakam or Bhramarambika AshtakamPin

Bhramarambika Ashtakam is an 8 verse stotram in praise of Maa Bhramarambika Devi or Bramaramba, who is the consort of Lord Mallikarjuna (Shiva) of Srisailam. It was composed by Sri Adi Shankaracharya during his visit to Srisailam. Bramarambika devi temple in Srisailam is one of the 18 Sakthi peetas. Get Sri Bhramarambika Ashtakam in Hindi Pdf Lyrics here and chant it with devotion for the grace of Maa Bramarambika Devi.

Bhramarambika Ashtakam in Hindi – श्री भ्रमराम्बिका अष्टकम् 

रविसुधाकर वह्निलोचन रत्नकुण्डल भूषिणी
प्रविमलम्बुग मम्मुनेलिन भक्तजन चिन्तामणी ।
अवनि जनुलकु कॊङ्गुबङ्गारैन दैवशिखामणी
शिवुनि पट्टपुराणि गुणमणि श्रीगिरि भ्रमराम्बिका ॥ 1 ॥

कलियुगम्बुन मानवुलकुनु कल्पतरुवै युण्डवा
वॆलयगुनु श्री शिखरमन्दुन विभवमै विलसिल्लवा ।
आलसिम्पक भक्तवरुलकु अष्टसम्पद लीयवा
जिलुगु कुङ्कुम कान्तिरेखल श्रीगिरि भ्रमराम्बिका ॥ 2 ॥

अङ्ग वङ्ग कलिङ्ग काश्मीरान्ध्र देशमुलन्दुनन्
पॊङ्गुचुनु वरहाल कॊङ्कण पुण्यभूमुल यन्दुनन् ।
रङ्गुगा कर्णाट राट मराट देशमुलन्दुनन्
शृङ्गिनी देशमुल वॆलसिन श्रीगिरि भ्रमराम्बिका ॥ 3 ॥

अक्षयम्बुग काशिलोपल अन्नपूर्ण भवानिवै
साक्षिगणपति कन्न तल्लिवि सद्गुणावति शाम्भवी ।
मोक्षमोसगॆडु कनकदुर्गवु मूलकारण शक्तिवि
शिक्षजेतुवु घोरभवमुल श्रीगिरि भ्रमराम्बिका ॥ 4 ॥

उग्रलोचन वरवधूमणि कॊप्पुगल्गिन भामिनी
विग्रहम्बुल कॆल्ल घनमै वॆलयु शोभनकारिणी ।
अग्रपीठमुनन्दु वॆलसिन आगमार्थ विचारिणी
शीघ्रमेकनि वरमुलित्तुवु श्रीगिरि भ्रमराम्बिका ॥ 5 ॥

निगमगोचर नीलकुण्डलि निर्मलाङ्गि निरञ्जनी
मिगुल चक्कनि पुष्पकोमलि मीननेत्र दयानिधी ।
जगतिलोन प्रसिद्धिकॆक्किन चन्द्रमुखि सीमन्तिनी
चिगुरुटाकुलवण्टि पॆदवुल श्रीगिरि भ्रमराम्बिका ॥ 6 ॥

सोमशेखर पल्लवाधरि सुन्दरीमणी धीमणी
कोमलाङ्गि कृपापयोनिधि कुटिलकुन्तल योगिनी ।
ना मनम्बुन पायकुण्डम नगकुलेशुनि नन्दिनी
सीमलोन प्रसिद्धिकॆक्किन श्रीगिरि भ्रमराम्बिका ॥ 7 ॥

भूतनाथुनि वामभागमु पॊन्दुगा चेकॊन्दुवा
ख्यातिगनु श्रीशैलमुन विख्यातिगा नॆलकॊण्टिवा ।
पातकम्बुल पारद्रोलुचु भक्तुलनु चेकॊण्टिवा
श्वेतगिरिपै नुण्डि वॆलसिन श्रीगिरि भ्रमराम्बिका ॥ 8 ॥

ऎल्लवॆलसिन नीदु भावमु विष्णुलोकमु नन्दुन
पल्लविञ्चुनु नी प्रभावमु ब्रह्मलोकमु नन्दुन ।
तॆल्लमुग कैलासमन्दुन मूडुलोकमु लन्दुन
चॆल्लुनम्म त्रिलोकवासिनि श्रीगिरि भ्रमराम्बिका ॥ 9 ॥

तरुणि श्रीगिरि मल्लिकार्जुन दैवरायल भामिनी
करुणतो मम्मेलु यॆप्पुडु कल्पवृक्षमु भङ्गिनी ।
वरुसतो नी यष्टकम्बुनु व्रासि चदिविन वारिकि
सिरुलनिच्चॆद वॆल्ल कालमु श्रीगिरि भ्रमराम्बिका ॥ 10 ॥

इति श्री भ्रमराम्बिका अष्टकम् ||

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