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Bajrang Baan Lyrics in Hindi – बजरंग बाण

Bajrang Baan Lyrics or Hanuman Baan LyricsPin

Bajrang Baan is a very powerful devotional hymn of Lord Hanuman. The term “Baan” means arrow, symbolizing that this prayer acts like an arrow aimed at invoking the immediate and forceful protection of Hanuman. It is believed that reciting the Bajrang Baan with full faith and devotion can destroy negativity, remove fear, and protect them from evil forces. Unlike Hanuman Chalisa, which is devotional and descriptive in nature, Bajrang Baan carries an intense, urgent tone. It is often recited in situations of distress, or when one seeks divine intervention against strong negative influences or black magic. Get Bajrang Baan Lyrics in Hindi Pdf here and recite it for the protection of Lord Hanuman.

A Note of Caution: Due to its intense nature, many spiritual teachers advise that Bajrang Baan should be recited with sincerity, caution, and respect. It is not a casual prayer, but rather a spiritual weapon, and should be used when truly needed.

बजरंग बाण भगवान हनुमान का एक अत्यंत शक्तिशाली भक्ति स्तोत्र है। “बाण” शब्द का अर्थ बाण होता है, जो इस बात का प्रतीक है कि यह प्रार्थना हनुमान की तत्काल और प्रबल सुरक्षा के लिए एक बाण की तरह कार्य करती है। ऐसा माना जाता है कि पूर्ण विश्वास और भक्ति के साथ बजरंग बाण का पाठ करने से नकारात्मकता का नाश होता है, भय दूर होता है और बुरी शक्तियों से रक्षा होती है। हनुमान चालीसा, जो भक्तिपूर्ण और वर्णनात्मक प्रकृति की है, के विपरीत, बजरंग बाण का स्वर तीव्र और तात्कालिक होता है। इसका पाठ अक्सर संकट की स्थिति में, या जब कोई प्रबल नकारात्मक प्रभावों या काले जादू से मुक्ति चाहता है, तब किया जाता है।

सावधानी: इसकी तीव्र प्रकृति के कारण, कई आध्यात्मिक गुरु सलाह देते हैं कि बजरंग बाण का पाठ ईमानदारी, सावधानी और सम्मान के साथ किया जाना चाहिए। यह कोई साधारण प्रार्थना नहीं है, बल्कि एक आध्यात्मिक अस्त्र है, और इसका प्रयोग केवल तभी किया जाना चाहिए जब वास्तव में आवश्यकता हो।

Bajrang Baan Lyrics in Hindi – बजरंग बाण

निश्चय प्रेम प्रतीति ते,
विनय करेँ सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ,
सिद्ध करेँ हनुमान ॥

चौपाई

जय हनुमंत संत हितकारी,
सुन लीजै प्रभु विनय हमारी ।
जन के काज विलंब न कीजै,
आतुर दौरि महा सुख दीजै ॥

जैसे कूदि सिंधु के पारा,
सुरसा बदन पैठि बिस्तारा ।
आगे जाय लंकिनी रोका,
मारॆहु लात गयी सुरलोका ॥

जाय विभीषन को सुख दीन्हा,
सीता निरखि परमपद लीन्हा ।
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा,
अति आतुर जमकातर तोरा ॥

अक्षय कुमार मारि संहारा,
लूम लपेटि लंक को जारा ।
लाह समान लंक जरि गयी,
जय जय धुनि सुरपुर नभ भयि ॥

अब बिलंब केहि कारन स्वामी,
कृपा करहु उर अंतरयामी ।
जय जय लखन प्राण के दाता,
आतुर है दुःख करहु निपाता ॥

जय हनुमान जयति बलसागर,
सुर समूह समरथ भटनागर ।
ओं हनु हनु हनु हनुमंत हठीले,
बैरिहि मारु बज्र की कीले ॥

ओं हीं हीं हीं हनुमंत कपीसा,
ओं हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा ।
जय अंजनि कुमार बलवंता,
शंकर सुवन वीर हनुमंता ॥

बदन कराल काल कुल घालक,
राम सहाय सदा प्रतिपालक ।
भूत प्रेत पिसाच निसाचर,
अगिनि बेताल काल मारी मर ॥

इन्हेँ मारु तोहि सपथ राम की,
राखु नाथ मरजाद नाम की ।
सत्य होहु हरि सपथ पायि कै,
राम दूत धरु मारु धायि कै ॥

जय जय जय हनुमंत अगाधा,
दुःख पावत जन केहि अपराधा ।
पूजा जप तप नेम अचारा,
नहिँ जानत कछु दास तुम्हारा ॥

बन उपबन मग गिरि गृह माहीँ,
तुम्हरे बल हम डरपत नाहीँ ।
जनकसुता हरि दास कहावौ,
ताकी सपथ विलंब न लावौ ॥

जै जै जै धुनि होत अकासा,
सुमिरत होय दुसह दुख नासा ।
चरन पकरि कर जोरि मनावौँ,
यहि औसर अब केहि गॊहरावौँ ॥

उठु उठु चलु तोहि राम दुहायी,
पायँ परौँ कर जोरि मनायी ।
ओं चं चं चं चं चपल चलंता,
ओं हनु हनु हनु हनु हनु हनुमंता ॥

ओं हं हं हाँक देत कपि चंचल,
ओं सं सं सहमि पराने खल दल ।
अपने जन को तुरत उबारौ,
सुमिरत होय आनंद हमारौ ॥

यह बजरंग बाण जेहि मारै,
ताहि कहौ फिरि कवन उबारै ।
पाठ करै बजरंग बाण की,
हनुमत रक्षा करै प्रान की ॥

यह बजरंग बाण जो जापै,
तासोँ भूत प्रेत सब कांपै ।
धूप देय जो जपै हमेसा,
ताके तन नहिँ रहै कलेसा ॥

दोहा 

उर प्रतीति दृढ सरन है,
पाठ करै धरि ध्यान ।
बाधा सब हर करैँ
सब काम सफल हनुमान ॥

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