Mahaveer Chalisa is a 40 verse prayer to Tirthankara Vardhaman Mahaveer Ji. Get Shri Mahaveer Chalisa in Hindi Lyrics Pdf here and chant it for the grace of Lord Mahaveer.
Mahaveer Chalisa in Hindi – श्री महावीर चालीसा
॥ दोहा॥
शीश नवा अरिहन्त को, सिद्धन करूँ प्रणाम ।।
उपाध्याय आचार्य का, ले सुखकारी नाम ।।
सर्व साधु और सरस्वती, जिन मन्दिर सुखकार ।।
महावीर भगवान को, मन-मन्दिर में धार ।।
।। चौपाई ।।
जय महावीर दयालु स्वामी ।
वीर प्रभु तुम जग में नामी ।।
वर्धमान है नाम तुम्हारा ।
लगे हृदय को प्यारा प्यारा ।।
शांति छवि और मोहनी मूरत ।
शान हँसीली सोहनी सूरत ।।
तुमने वेश दिगम्बर धारा ।
कर्म-शत्रु भी तुम से हारा ।।
क्रोध मान अरु लोभ भगाया ।
महा-मोह तुमसे डर खाया ।।
तू सर्वज्ञ सर्व का ज्ञाता ।
तुझको दुनिया से क्या नाता ।।
तुझमें नहीं राग और द्वेष ।
वीर रण राग तू हितोपदेश ।।
तेरा नाम जगत में सच्चा ।
जिसको जाने बच्चा बच्चा ।।
भूत प्रेत तुम से भय खावें ।
व्यन्तर राक्षस सब भग जावें ।।
महा व्याध मारी न सतावे ।
महा विकराल काल डर खावे ।।
काला नाग होय फन धारी ।
या हो शेर भयंकर भारी ।।
ना हो कोई बचाने वाला ।
स्वामी तुम्हीं करो प्रतिपाला ।।
अग्नि दावानल सुलग रही हो ।
तेज हवा से भड़क रही हो ।।
नाम तुम्हारा सब दुख खोवे ।
आग एकदम ठण्डी होवे ।।
हिंसामय था भारत सारा ।
तब तुमने कीना निस्तारा ।।
जनम लिया कुण्डलपुर नगरी ।
हुई सुखी तब प्रजा सगरी ।।
सिद्धारथ जी पिता तुम्हारे ।
त्रिशला के आँखों के तारे ।।
छोड़ सभी झंझट संसारी ।
स्वामी हुए बाल-ब्रह्मचारी ।।
पंचम काल महा-दुखदाई ।
चाँदनपुर महिमा दिखलाई ।।
टीले में अतिशय दिखलाया ।
एक गाय का दूध गिराया ।।
सोच हुआ मन में ग्वाले के ।
पहुँचा एक फावड़ा लेके ।।
सारा टीला खोद बगाया ।
तब तुमने दर्शन दिखलाया ।।
जोधराज को दुख ने घेरा ।
उसने नाम जपा जब तेरा ।।
ठंडा हुआ तोप का गोला ।
तब सब ने जयकारा बोला ।।
मंत्री ने मन्दिर बनवाया ।
राजा ने भी द्रव्य लगाया ।।
बड़ी धर्मशाला बनवाई ।
तुमको लाने को ठहराई ।।
तुमने तोड़ी बीसों गाड़ी ।
पहिया खसका नहीं अगाड़ी ।।
ग्वाले ने जो हाथ लगाया ।
फिर तो रथ चलता ही पाया ।।
पहिले दिन बैशाख बदी के ।
रथ जाता है तीर नदी के ।।
मीना गूजर सब ही आते ।
नाच-कूद सब चित उमगाते ।।
स्वामी तुमने प्रेम निभाया ।
ग्वाले का बहु मान बढ़ाया ।।
हाथ लगे ग्वाले का जब ही ।
स्वामी रथ चलता है तब ही ।।
मेरी है टूटी सी नैया ।
तुम बिन कोई नहीं खिवैया ।।
मुझ पर स्वामी जरा कृपा कर ।
मैं हूँ प्रभु तुम्हारा चाकर ।।
तुम से मैं अरु कछु नहीं चाहूँ ।
जन्म-जन्म तेरे दर्शन पाऊँ ।।
चालीसे को चन्द्र बनावे ।
बीर प्रभु को शीश नवावे ।।
।। सोरठा ।।
नित चालीसहि बार, बाठ करे चालीस दिन ।
खेय सुगन्ध अपार, वर्धमान के सामने ।।
होय कुबेर समान, जन्म दरिद्री होय जो ।
जिसके नहिं संतान, नाम वंश जग में चले ।।
।। इति श्री महावीर चालीसा समाप्त ।।