Kabhi Fursat Ho To Jagdambe is a popular bhajan of Maa Durga. Get Kabhi Fursat Ho To Jagdambe Lyrics in Hindi here and recite it for the grace of Maa Durga.
Kabhi Fursat Ho To Jagdambe Lyrics in Hindi – कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे
कभी फुर्सत हो तो जगदंबे,
निर्धन के घर भी आ जाना,
कभी फुर्सत हो तो जगदंबे,
निर्धन के घर भी आ जाना,
जो रूखा सूखा दिया हमें,
कभी उस का भोग लगा जाना,
कभी फुर्सत हो तो जगदंबे,
निर्धन के घर भी आ जाना ।
ना छत्र बना सका सोने का,
ना चुनरी घर मेरे तारों जड़ी,
ना पेडे बर्फी मेवा है माँ,
बस श्रद्धा है नैन बिछाए खड़ी,
इस श्रद्धा की रख लो लाज हे माँ,
इस अर्जी को ना ठुकरा जाना,
जो रूखा सूखा दिया हमें,
कभी उस का भोग लगा जाना ।
जिस घर के दीये में तेल नहीं,
वहाँ जोत जलाऊं मैं कैसे,
मेरा खुद ही बिछौना धरती पर,
तेरी चौकी सजाऊं मैं कैसे,
जहाँ मैं बैठा वहीं बैठ के माँ,
बच्चों का दिल बहला जाना,
जो रूखा सूखा दिया हमें,
कभी उस का भोग लगा जाना ।
तू भाग्य बनाने वाली है,
माँ मैं तकदीर का मारा हूँ,
हे दांती संभालो भिखारी को,
आखिर तेरी आँख का तारा हूँ,
मै दोषी तू निर्दोष है माँ,
मेरे दोषों को तू भुला जाना,
जो रूखा सूखा दिया हमें,
कभी उस का भोग लगा जाना ।
कभी फुर्सत हो तो जगदंबे,
निर्धन के घर भी आ जाना,
कभी फुर्सत हो तो जगदंबे ।
कभी फुर्सत हो तो जगदंबे,
निर्धन के घर भी आ जाना,
कभी फुर्सत हो तो जगदंबे,
निर्धन के घर भी आ जाना,
जो रूखा सूखा दिया हमें,
कभी उस का भोग लगा जाना,
कभी फुर्सत हो तो जगदंबे,
निर्धन के घर भी आ जाना ।