छठ पूजा एक प्राचीन पर्व है जो सूर्य देव (सूर्य भगवान) और छठी मइया (सूर्य की ऊर्जा से जुड़ी देवी) को समर्पित है। यह मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है, लेकिन आज इसकी श्रद्धा और आस्था पूरी दुनिया में फैली हुई है।
नीचे दिए गए विवरण में आप छठ पूजा की तारीख, विधि-विधान, मंत्र, प्रसाद आदि के बारे में विस्तार से जान सकते हैं।
Chhath Puja – छठ पूजा
अर्थ और महत्व
“छठ” शब्द का अर्थ है “छठा”, और यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि (अक्टूबर–नवंबर) को, दीपावली के छह दिन बाद मनाया जाता है।
इस दिन सूर्य देव की उपासना जीवन, ऊर्जा, समृद्धि, परिवार और समाज के कल्याण के लिए की जाती है। यह पर्व प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने और शरीर व मन को शुद्ध करने का माध्यम भी है।
छठ पूजा को सूर्य षष्ठी, छठ, छठी, छठ पर्व, डाला पूजा तथा डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है।
छठ पूजा की तिथि
इस वर्ष, छठ पूजा 27 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी।
छठ पूजा की विधियाँ
पहला दिन – नहाय खाय (स्नान और भोजन)
भक्तजन पवित्र नदी (जैसे गंगा) में स्नान करते हैं, घर की सफाई करते हैं और अत्यंत शुद्धता से बना एक ही भोजन ग्रहण करते हैं।
दूसरा दिन – खरना (उपवास)
इस दिन पूरा दिन व्रत रखा जाता है। सायंकाल सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के बाद गुड़ और दूध से बनी खीर तथा रोटी का प्रसाद बनाकर पूजा की जाती है। इसके बाद व्रत खोला जाता है।
तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य (सांध्यकालीन अर्घ्य अर्पण)
भक्त पुनः उपवास रखते हैं और ठेकुआ जैसे प्रसाद बनाते हैं।
सायंकाल वे नदी, तालाब या जलाशय के किनारे जाकर अस्ताचलगामी सूर्य को जल और फल से अर्घ्य अर्पित करते हैं।
चौथा दिन – ऊषा अर्घ्य (प्रातःकालीन अर्घ्य अर्पण)
अगली सुबह भक्त उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
इसके बाद व्रत का पारण कर प्रसाद का वितरण परिवार और समुदाय में किया जाता है।
छठ प्रसाद
- ठेकुआ
- चावल और दूध से बने व्यंजन
- फल (गन्ना, केला, नारियल)
सभी प्रसाद बाँस की टोकरी और सूप (सूपा) में रखे जाते हैं, जो पवित्रता और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक हैं।
छठ पूजा मंत्र
सूर्य गायत्री मंत्र:
ॐ आदित्याय विद्महे दिवाकराय धीमहि । तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ॥
सूर्य नमस्कार मंत्र (अर्घ्य के समय उच्चारित):
ॐ घृणिः सूर्य आदित्यः ॥
सूर्य बीज मंत्र (शक्ति और ऊर्जा के लिए):
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः ॥
छठी मइया आरती
जय छठी मइया, तोहर महिमा अपार,
जे करे तोहार पूजन, उहे पावेला पार॥
अर्घ्य अर्पण के समय उच्चारण योग्य मंत्र
- ॐ सूर्याय नमः
- ॐ मित्राय नमः
- ॐ रवये नमः
- ॐ भानवे नमः
- ॐ खगाय नमः
- ॐ पुष्णे नमः
- ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
- ॐ मारिचये नमः
- ॐ आदित्याय नमः
- ॐ सवित्रे नमः
- ॐ अर्काय नमः
- ॐ भास्कराय नमः



